भूखे पेटों को और कुछ नहीं सूझता । भूखे पेटों को और कुछ नहीं सूझता ।
लिखने बैठी मैं 'गरीबी' पर कविता। लिखने बैठी मैं 'गरीबी' पर कविता।
हर दिशा मे विषाद है, हर शब्द ही विषाक्त है. हर दिशा मे विषाद है, हर शब्द ही विषाक्त है.
भव सागर और ज्ञान सागर एक हो जाए और प्यासी नदिया उसमें डूब जाएतब विचारना क्या कोई संशोधन अब भी बाकी ह... भव सागर और ज्ञान सागर एक हो जाए और प्यासी नदिया उसमें डूब जाएतब विचारना क्या कोई...
मनोद्वारों पर कुछ तो खटकता न बोलने की कुछ तो विवशता मनोद्वारों पर कुछ तो खटकता न बोलने की कुछ तो विवशता
कविता यथार्थ की तस्वीर भर नहीं यथार्थ भी है। कविता यथार्थ की तस्वीर भर नहीं यथार्थ भी है।